Powered by Blogger.

Business

[Business]

Wednesday, 27 December 2017

भारत का स्वर्ण काल: गुप्त राजवंश!

भारत का स्वर्ण काल : गुप्त राजवंश




गुप्त राजवंश - गुप्त काल को भारत का स्वर्णकाल, श्रेणीबद्ध कहा जाता है|

गुप्तों का मूल निवास स्थान - 

* कौमुदी महोत्सव के अनुसार इतिहासकार डॉ. जायसवाल ने गुप्तों का मूल निवास स्थान कोशांबी प्रदेश को बताया है|

* वायु पुराण, हरीषेण द्वारा रचित प्रयाग के अनुसार गुप्तों का मूल निवास मगध है|

* गुप्तों कि जाति : अधिकांश विद्वानों के अनुसार वे वैश्य जाति के थे|

प्रमुख गुप्त शासक -

१. श्रीगुप्त (240 ईस्वी) -  

गुप्त राजवंश का संस्थापक श्रीगुप्त था| जिसने महाराज कि उपाधि ग्रहण की|  चीनी यात्री इत्सिंग के अनुसार श्रीगुप्त से मृगशिकावन में जैन मंदिर के निर्माण हेतु 24 गाँव दान में दिए थे|

मृत्यु - 280 ईस्वी

श्रीगुप्त के पश्चात इसका पुत्र घतोत्कच शासक बना| इसका उल्लेख प्रभावती गुप्ता के पूनाताम्र अभिलेख में मिलता है|

चन्द्रगुप्त प्रथम : 

* राज्यभिषेक - 319 ईस्वी

* उपाधि - महाराजाधिराज

* कुमार गुप्त के विससंड अभिलेख में गुप्त वंशावली का उल्लेख मिलता है| जिसमे प्रथम गुप्त शासक का नाम चन्द्रगुप्त प्रथम मिलता है| इसी वजह से चन्द्रगुप्त को गुप्त वंश का संस्थापक कहा जाता है|

* गुप्त संवत - 26 फरवरी 319 ईस्वी को इसने गुप्त संवत कि शुरुआत की|

* वैवाहिक सम्बन्ध - चन्द्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवी राजकुमारी कुमार देवी के साथ विवाह कर सोने का सिक्का चलाया जिस पर एक तरफ कुमार देवी का नाम था जबकि दूसरी तरफ लक्ष्मी कि आकृति थी|

Note :- भारत में सर्वप्रथम सोने के सिक्के हिन्द-यूनानी शासको ने चलाये थे| भारत में सबसे ज्यादा सोने के सिक्के गुप्त शासको ने, सबसे शुद्ध सोने के सिक्के कुषाण शासको ने और सर्वप्रथम चाँदी के सिक्के चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने चलाए| भारत में सीसे के सिक्के सात्वाहन शासकों ने चमड़े के सिक्के निज़ाम रुक्का नामक भिश्ती ने चलाये और सोने के सबसे मिलावटी व सबसे भारी सोने के सिक्के इसक्म्दगुप्त ने चलाये|

* चन्द्रगुप्त ने प्रथम अपने जीवनकाल में ही समुद्रगुप्त को अपना उतराधिकारी घोषित किया|

* मृत्यु - 335 ईस्वी



No comments:
Write comments