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Sunday, 17 December 2017

मेवाड़ का गुहिल राजवंश और उसकी उत्पति के सिद्धांत!

मेवाड़ का गुहिल राजवंश 

गुहिल वंश की उत्पति के सिद्धांत –


1.  डी. डी. भंडारकर के अनुसार → डी. डी. के मतानुसार गुहिल ब्राह्मणों की संतान थे|

2. अबुल फज़ल के अनुसार → अबुल फज़ल के अनुसार गुहिल ईरान के बादशाह आदिल नौशेरवा की संतान थे|

3. मुंहणोत नैनसी के अनुसारनैनसी (राजस्थान का अबुल फज़ल) के मतानुसार गुहिल सूर्यवंशी थे|

4. अटपूर के शीलालेखानुसार → इसमें गुहिलो को रघुकुल से उत्पन्न माना गया है|

5. कर्नल जेम्स टॉड के मतानुसार
                                                          कर्नल के अनुसार गुहिल विदेशियों की सन्तान थे| कर्नल ने जैन धर्म ग्रन्थों के आधार पर धारणा बनायीं की 524 ईस्वी में गुजरात के वल्लभी पर हूणों ने आक्रमण किया| इस आक्रमण के समय वल्लभी का शासक शिलादित्य मारा गया तथा शिलादित्य की रानी जो पुष्पावती जो उस समय गर्भवती थी, मेवाड़ स्तिथ अम्बभावानी की यात्रा पर आई हुयी थी| इसी रानी ने गुफा में एक पुत्र को जन्म दिया जो गुफा में उत्पन्न होने के कारण गुहिल कहलाया| गुहिल ने गुहिल वंश की स्थापना 566 ईस्वी में की थी|

मुंहणोत नैनसी के अनुसार गुहिल वंश की शाखाएं :

मुंहणोत नैनसी के अनुसार गुहिल वंश की 24 शाखाएं थी जो बाद में 5 शखाओं में विभाजित हो गयी –

1. आहड़ के गुहिल, नागदा के गुहिल
2. वागड़ के गुहिल
3. किसीकंध के गुहिल
4. मालवा के गुहिल और
5. चाटसु के गुहिल|

तो अब हमने गुहिल वंश की उत्पति के सिद्धांत और उनकी शाखाओं के बारे में तो अध्यन कर लिया है| अब हम गुहिल वंश के उन शासको के बारे में अध्यन करेंगे जो राजस्थान पुलिस की एग्जाम की दृष्टि से महत्वपूर्ण है| इस कर्म में हम सबसे आगे की पोस्ट में  पहले मेवाड़ के गुहिल वंश के प्रथम प्रतापी शसक बप्पा के बारे में अध्यन करेंगे और उसके बाद उसके वंशजो के बारे में|


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