जोधपुर का राठौड़ राजवंश!
* राव सिन्हा -
राठोड वंश के संस्थापक
कन्नौज के शासक जयचंद गहड़वाल के पौत्र
सर्वप्रथम पाली के उत्तर-पश्चिम में अपना राज्य स्थापित कीया
* राव चुडा -
इस वंश का प्रथम प्रताप शासक
इसने मंडोर को अपनी राजधानी बनाया
* राव जोधा -
1453 में मंडोर पर अधिकार कीया
1459 ईस्वी में चिड़ियाटूक पहाड़ी पर जोधपुर दुर्ग मेहरानगढ़ का निर्माण कराया
जोधपुर शहर के संस्थापक
* राव मालदेव -
पिता - राव गांगा
पत्नी - रानी उमादे जो इतिहास में रूठी रानी के नाम से प्रसिद्द है| यह जैसलमेर के शासक लूणकरण की पुत्री थी जो अपने पति से रूठ कर आजीवन तारागढ़, अजमेर में रही|
बीकानेर पर अधिकार - राव मालदेव ने 1541-42 में राव जैतसी को हराकर बीकानेर पर अधिकार कीया था|
गिरी सुमेल का युद्ध - जनवरी, 1544 में दिल्ली के अफ़ग़ान बादशाह शेरशाह सूरी व राव मालदेव के मध्य वर्तमान जैतारण पाली के निकट गिरी सुमेल स्थान पर हुआ| जिसमे सूरी की बड़ी ही कठिनाई से विजय हुई| तब सूरी ने कहा था की "मुट्ठी भर बाजरे के लिए मैंने हिंदुस्तान की बादशाहत खो दी होती|"
जेता और कुंपा - राव मालदेव के सबसे विश्वस्त वीर सेनानायक जो सीरी सुमेल के युद्ध में मारे गए|
* राव चन्द्रसेन -
राव मालदेव के छठे पुत्र
राज्यभिषेक - 11 नवम्बर, 1562
नागोर की अधीनता स्वीकार की
राव चन्द्रसेन ऐसे अंतिम राठोड शासक थे जिन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की|
* मोटाराजा उदय सिंह -
राव चंद्रसेन के बड़े भ्राता
अकबर ने इन्हें 4 अगस्त, 1583को जोधपुर का शासक बनाया|
मुगलों कि अधीनता स्वीकार करने वाले जोधपुर के प्रथम शासक
अपनी पुत्री मनीबाई का विवाह शहजादे सलीम से विवाह करवा कर मुगलों से वैवाहिक संबध स्थापित किया|
* महाराजा जसवंत सिंह -
पिता - महाराजा गजसिंह
राजतिलक - आगरा में
धरमत का युद्ध - मुग़ल शासक शाहजहाँ के पुत्रों ओरंगजेब व दाराशिकोह के मध्य उत्तराधिकार हेतु अप्रैल 1658 में धरमत, उज्जेन, मध्य प्रदेश में हुआ| जिसमे महाराजा जसवत सिंह प्रथम ने दाराशिकोह कि शाही सेना का नेतृत्व किया था| इस युद्ध में ओरंगजेब विजयी हुआ था|
मूंहणोत नैनसी - महाराजा जसवंत सिंह के मंत्री एवं साहित्यकार जिसे मतभेद हो जाने पर जसवंत सिंह ने जेल में दाल दिया जहां उनकी मृत्यु हो गयी| नैनसी ने "नैनसी री ख्यात" तथा "मारवाड़ रा परगना री विगत" नाम दो ऐतिहासिक ग्रन्थ लिखे थे|
मृत्यु - 28 नवम्बर, 1678 को जमरूद, अफ़ग़ानिस्तान में
* महाराजा अजीत सिंह -
जसवंत सिंह के पुत्र जिसका जन्म जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद 19 फ़रवरी, 1679 को लाहौर में हुआ|
महाराजा अजित सिंह ने मुग़ल बादशाह फर्रुखसियर से संधि कर अपनी लड़की इंद्र कुंवारी का विवाह बादशाह से कर दिया|
13 जुन, 1724 को अजीत सिंह कि उनके छोटे बेटे बखत सिंह ने हत्या कर दी|
* वीर दुर्गादास राठोड -
जन्म - 13 अगस्त, 1638
वीर दुर्गादास राजस्थान के इतिहास में पन्ना धाय के बाद दुसरे ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी स्वामी भक्ति अनुकरणीय है|
मृत्यु - 22 नवम्बर, 1718
* महाराजा मानसिंह -
गोरखनाथ सम्प्रदाय के गुरु आयस देवनाथ के शिष्य
आयस देवनाथ ने मानसिंह के जोधपुर के राजा बनने कि भविष्यवाणी कि थी|
महामंदिर -जोधपुर में नाथ सम्प्रदाय के महामंदिर का निर्माण करवाया
16 जनवरी, 1818 को इसने अंग्रेजो से आश्रित पार्थक्य कि संधि की|
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